35+ स्त्रियों के लिए और सभी पुरुषों के लिए
स्त्रियां अक्सर बहुत दुःखी हो जाती हैं । दुःख में वो मर जाने की बात करती हैं । जैसे कि अब जादा दिन नहीं रहूंगी, मेरे जाने के बाद तुम कैसे रहोगे, यही चिंता होती है, बेटी की शादी जल्दी हो जाती तो अच्छा होता …..
यह स्त्री की मनः स्थिति है । हर स्त्री के जीवन में ऐसे समय आते है । यह स्थिति थोड़ी और जादा हो जाए तो स्त्री को अवसाद या डिप्रेशन हो जाता है ।
डॉ. कहते है कि 50 की उमर के आस पास ऐसा जादा होता है । भारत में आजकल यह 40 के आस पास होने लगा है । मीनोपॉज ऐसे विचारों को बढ़ावा देता है ।
इसलिए समय समय पर, जो मन में आए, स्त्री को चाहिए कि जो मन में आए वो बोल डालें, मन हल्का कर लें, और डिप्रेशन की तरफ जाने से बचें ।
यह सब मैं इसलिए लिख रहा हूँ कि सभी पाठक पढ़ें और स्त्री के दुखी होने का कारण समझें । स्त्री की स्वास्थ स्थित को समझ कर, उससे अच्छा व्यवहार करें, उसके दुखी, व्यथित या उग्र होने पर स्वयं उग्र न हों, बल्कि बात समझ के, शांत रहें, और अच्छा व्यवहार करें ।