कछुआ मत बनिए, तेज होइए, आगे बढिए !

एक कछुआ था । एक खरगोश था । दौड़ हुई । खरगोश आगे था । रुक कर आराम करने लगा । धीमे धीमे कछुआ चलता रहा । वह आगे निकल गया । जीत गया ।

समय बदल गया । फिर से दौड़ हुई । इस बार फिर से खरगोश आगे निकल गया । पर अब खरगोश होशियार हो गया था । अबकी रुका नहीं । दौड़ता रहा । और आगे ही बना रहा ।

Hare-and-Tortoise-2

जमाना बदल गया है । अब कोई रुक कर आराम नहीं करेगा । सोएगा नहीं । आप को कोई यूँ ही आगे नहीं निकलने देगा । आप को स्वयं तेज होना पड़ेगा । ज्ञान में तेज । कर्म में तेज । टेक्नोलोजी में तेज । आचार व्यवहार में तेज । बोल चाल में तेज ।

कछुआ मत बनिए ।

तेज होइए । आगे बढिए 🙂