नवरात्रि (Navratri)
नवरात्रि – परिचय
नवरात्रि (Navratri) हिन्दुओं का प्रमुख त्यौहार है। नवरात्रि का अर्थ होता है नौ रातें। इस पर्व में नौ रात और दस दिन तक आदि शक्ति के अलग अलग रूपों की आराधना की जाती है। इन नौ रूपों को नवदुर्गा कहते हैं। दुर्गा का अर्थ होता है जीवन के कष्टों को दूर करने वाली।
नौ देवियाँ है :-
- श्री शैलपुत्री -इसका अर्थ – पहाड़ों की पुत्री होता है
- श्री ब्रह्मचारिणी -इसका अर्थ – ब्रह्मचारीणी
- श्री चंद्रघरा -इसका अर्थ – चाँद की तरह चमकने वाली
- श्री कूष्माडा -इसका अर्थ – पूरा जगत उनके पैर में है
- श्री स्कंदमाता -इसका अर्थ – कार्तिक स्वामी की माता
- श्री कात्यायनी -इसका अर्थ – कात्यायन आश्रम में जन्मि
- श्री कालरात्रि -इसका अर्थ – काल का नाश करने वाली
- श्री महागौरी -इसका अर्थ – सफेद रंग वाली मां
- श्री सिद्धिदात्री -इसका अर्थ – सर्व सिद्धि देने वाली
नवरात्रि उत्सव देवी अंबा (विद्युत) का प्रतीक है। वसंत और शरद ऋतु के प्रारम्भ में, जलवायु तथा सूर्य के प्रभाव का शुभ संगम होता है।माता की आराधना के लिए ये दो समय वर्ष में सबसे पवित्र होते है। त्योहार की तिथियाँ चंद्र पञ्चांग के द्वारा निर्धारित होती हैं।
व्रत कथा
इस व्रत से जुड़ी एक कथा के अनुसार महिसासुर के ध्यान साधना से प्रसन्न होकर देवताओं ने उसे अजय होने का वरदान दे दिया पर बाद में उन्हें ये चिंता होने लगी कि महिषासुर कहीं इसका गलत उपयोग न करे| देवताओं की आशंका सही निकली| महिषासुर ने नरक का विस्तार करना प्रारम्भ किया और उसे वो स्वर्ग के द्वार तक ले आया| महिषासुर ने सारे देवताओं के अधिकार छीन लिये और स्वयं ही स्वर्गलोक का स्वामी बन गया| महिषासुर के इस कृत्य से खिन्न देवताओं ने अपनी अपनी शक्तियों को एकीकृत किया और माँ दुर्गा की सृष्टि हुई| देवी दुर्गा को सभी देवताओं ने अपने अपने शस्त्र दिए| इस प्रकार देवी अत्यधिक बलवान हो गयीं| देवी दुर्गा और महिषासुर का संग्राम नौ दिनों तक चला और अंततः देवी दुर्गा द्वारा महिषासुर का वध हुआ और दुर्गा महिषासुरमर्दिनी कही जाने लगीं|
नवरात्र – महत्त्व 
नवरात्रों में लोग अपनी आध्यात्मिक और मानसिक शक्तियों में वृद्धि करने के लिये अनेक प्रकार के उपवास, संयम, नियम, भजन, पूजन योग साधना आदि करते हैं। सभी नवरात्रों में माता के सभी 51 पीठों पर भक्त विशेष रुप से माता के दर्शनों के लिये एकत्रित होते हैं। जिनके लिये वहाँ जाना संभव नहीं होता है, उसे अपने निवास के निकट ही माता के मंदिर में दर्शन कर लेते हैं। नवरात्र शब्द, नव अहोरात्रों का बोध करता है। इस समय शक्ति के नव रूपों की उपासना की जाती है। रात्रि शब्द सिद्धि का प्रतीक है। उपासना और सिद्धियों के लिये दिन से अधिक रात्रि को महत्त्व दिया जाता है। हिन्दू के अधिकतर पर्व रात्रि में ही मनाये जाते हैं। रात्रि में मनाये जाने वाले पर्वों में दीपावली, होलिका दहन, दशहरा आदि आते हैं। शिवरात्रि और नवरात्रि भी इनमें से कुछ एक है। रात्रि समय में जिन पर्वों को मनाया जाता है, उन पर्वों में सिद्धि प्राप्ति के कार्य विशेष रुप से किये जाते हैं। नवरात्रों के साथ रात्रि जोड़ने का भी यही अर्थ है, कि माता शक्ति के इन नौ दिनों की रात्रि को मनन व चिन्तन के लिये प्रयोग करना चाहिए।