रो लें, जी हल्का हो जाएगा !
कभी न कभी, दुःख सभी को होता है. कारण कुछ भी हो सकता है. घर की परेशानी, बच्चों का दुःख, रिलेशनशिप, प्यार की चोट, असफलता, व्यापार में हानि, खेती में नुकसान, किसी की बीमारी …. अनंत कारण हो सकते हैं. दुःख से मन भारी हो जाता है. कुछ लोग अवसाद या डिप्रेशन में चले जाते हैं. तनाव हो जाता है. वही बात बार बार दिमाग में चलती रहती है. इससे तनाव और बढ़ जाता है.
क्या करें ?
बात करें. दूसरों से बात करें. बड़ो से बात करें. छोटों से बात करें. बात करने से मन हल्का होता है. और कभी कभी समाधान भी निकल आता है. कोई न मिले तो भगवान से बात करें. वह सचमुच सुनता है.
और क्या करें ?
अगर आप को दुःख के साथ साथ गुस्सा आ रहा है तो गुस्सा प्रकट कीजिए. गाली देने का मन हो रहा है तो गाली दे दीजिए. कोई बात नहीं. कोई न मिले तो किसी जानवर को ही सौ बात सुना दीजिए. चूहा दिख जाए तो चूहे को ही सौ बात सुना दीजिए. कोई न मिले तो मच्छर तो मिल ही जाएगा. यह मजाक है, पर बात की गंभीरता सही है.
और क्या करें ?
अगर दुःख बहुत बड़ा है, जैसे किसी कि मृत्यु हो गई है, कोई दुर्घटना हो गई है, सब चौपट हो गया है और आप को रोना आ रहा है, तो रो लीजिए. रोना कोई खराब बात नहीं है. रोना बहुत अच्छी दवा है. मन हल्का हो जाएगा. बहुत बार बहुत जरुरी है. मेरे बड़े नाना अपने दामाद की मृत्यु को नहीं सह पाए, तेज तर्रार अकड़दार रौबदार नाना जिंदगी में कभी रोए नहीं, इतने सारे लोगों के सामने कैसे रोते, नहीं रोए, सदमा लग गया, लोग कहते हैं कि वो अपना मानसिक संतुलन खो बैठे. फिर से कह रहा हूँ, रोना खराब बात नहीं है, रोना आ रहा है तो रो लीजिए. यह सामान्य है.
फायदा ?
फायदा है. अधिकतर लोग जो अपना तनाव किसी भी भांति कम कर लेते हैं, खुश रहते हैं, डिप्रेशन में नहीं जाते, BP नहीं बढ़ता, गलत कदम नहीं उठाते, खुदकुशी नहीं करते. इसलिए तरीका कोई भी हो – हंसी मजाक, गाली गलौज, लड़ाई झगड़ा, रोना धोना – सब जायज है. तनाव मुक्त रहना जादा इम्पोर्टेन्ट है.
एक बार फिर से कहूँगा: जरुरत पड़े तो –
रो लें, जी हल्का हो जाएगा !