शीलम हम तुम्हारी इज्जत करते हैं
Posted by Arun Mishra in Happiness, Relationship, Social Happiness, कहानी, हिंदी में पढ़ें Onशीलम बहुत ही संस्कारी लडकी थी और माता पिता के दिये संस्कारों के साथ वह क्लास वन से ग्रेजुएशन तक की पढाई करती रही और बीएड करके वह अध्यापक भी हो गयी।
इक्कीसवीं सदी की इस लडकी को किसी अमित, अनुपम, पप्पू, मंगेश अरे यहां तक कि इस जमाने के किसी लडके से इतनी मुहब्बत नहीं हुई कि वह लव मैरिज कर सकती या फिर माता पिता का भय वा इज्जत मान सम्मान की बात रही हो। हो सकता है शीलम को कोई तो सूरज पसंद आया रहा हो जिसके ताप में झुलस जाना चाहती रही हो, जिसके किरणों के संग बिखर जाना चाहती रही हो लेकिन ऐसा कुछ हुआ भी नहीं था।
अध्यापिका बनने के बाद भी शीलम ने कह दिया था मैं माता पिता की इच्छा से शादी करूंगी और वह खूब खुश भी थी कि माता पिता उसके लिये किसी राजकुमार जैसे युवराज को ही लायेगें।
एक दिन रात को चुपके से शीलम ने सुन लिया उसके मम्मी पापा उसका रिश्ता तय करने की बात कर रहे थे और दस दिनों में शीलम का रिश्ता राजेश से तय हो गया। राजेश देखने में सुंदर था साथ ही सुशिक्षित था उसका परिवार भी रिहायशी परिवार था। राजेश चेहरे से शालीन लगता था लेकिन आंखें लाल दिख रही थी लेकिन यही हुआ कि लंबे सफर की वजह से ऐसा हो सकता है भला इतना अच्छा लडका नशेडी कैसे हो सकता है।
अच्छे खाशे दहेज में दस लाख के खर्च से शीलम और राजेश की शादी हुयी पर एक साल के पहले ही शीलम के अरमान काच की चूडियों की तरह टूटने लगे और शीलम खून के आंसू रोने लगी।
सास ससुर के द्वारा शीलम प्रताडित तो होती थी साथ ही राजेश शाम को व्हिस्की और हुक्का पीकर आने लगा असल मे राजेश सहजादा था जिसे लडकी और शराब का नशा था वो लडकियों को पैरों की जूती समझता था और नये नये जिस्मपान का आदी था। वह हवशी दरिंदा था ऐसे लोगों को प्यार और भावनाओं का तनिक भी एहसास नहीं रहता था।
शीलम संवेदनशील लडकी थी और साहसी थी बस फिर क्या शीलम ने अपने हाथों की चूडियों को तोड दिया और तलाक से पहले ही राजेश वा राजेश के परिवार से नाता तोड दिया। शीलम का प्रताडना ना सहना उचित रहा और आज वह अपने स्कूल में पढाने जाती है और अपने माता पिता के साथ खुश है उसने साबित कर दिया कि जीवन जीने के लिये किसी धंम्भी शराबी मर्द के सामने झुकने वा उसके नाम की जरूरत नहीं है।
आखिर एक लडकी का भी अपना अस्तित्व है वह अकेले बिना किसी मर्द के सहारे भी तो जी सकती है। भविष्य में हो सकता है समाज उसे ताना मारे, समाज उसे अकेला जानकर बुरा बर्ताव करे लेकिन जिन रिश्तों में जान ना हो जहां भावनायें ना मिलती हैं जिस्म और रूह का एहसास ना हो तब ऐसे सड चुके रिश्ते को खत्म कर देने से ही सुकून मिलता है।
यह सामाजिक बहादुरी है. हम बहादुरी की इज्जत करते हैं.
शीलम हम तुम्हारी इज्जत करते हैं.
लेखक : सौरभ द्विवेदी
Disclaimer –
- कहानी काल्पनिक है सिवाय इतनी जानकारी के कि एक लडकी ने ऐसी ही पारिवारिक प्रताडना की वजह से एक साल में ही रिश्ता खत्म कर दिया था .
- चित्र गूगल से लिया है केवल कहानी चित्रण के लिए है.
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Arun Mishra
Motivator, Trainer, Success Coach, Happiness Guru, Life Counselor, Career Counselor