रघु के बाबा शहर में नौकरी करते हैं
Posted by Arun Mishra in Happiness, Social Happiness, कहानी, हिंदी में पढ़ें Onरघु के बाबा शहर में नौकरी करते हैं. हर मैंने पैसा भेजते हैं. गावं में घर चल रहा है. बाबा को देखा तो पाता चला कि चौकीदारी करते हैं. दिन की शिफ्ट एक सोसाइटी में और रात की शिफ्ट दूसरी सोसाइटी में. सोसाइटी के ही 8 x 8 वाले कमरे में रह लेते हैं, नहाना धोना कर लेते हैं, रुखी सूखी खा लेते हैं, और समय निकाल कर झपकी मार लेते हैं. गावं में उनकी इस कमाई से लड़का पेट्रोल भराता है और मोटरसाइकिल दौड़ता है. बिटिया बाजार जाती है. चाट खाती है. पत्नी पान तम्बाकू खैर में मस्त हैं. कोई कुछ कहे तो शान से कहती हैं कि रघु के बाबा शहर में नौकरी करते हैं. यहां बाबा का हाल बाबा ही जानते हैं. 🙁
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अनिल जी मुंबई में हैं. गावं में जब तब भाई को पैसा भेजते हैं, पढाई के लिए. बाबू जी को भेजते हैं, खेती के लिए. माई को भेजते हैं, कपड़े के लिए. पिछले कई साल से कर रहे हैं. और शिकायत भी सुन रहे हैं कि अनिलवा मुंबई में कमाता है, घर के लिए कुछ नहीं करता है. यहां बेचारे अनिल ने दो साल से अपने लिए जींस नहीं खरीदी. 🙁
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चंद्रन केरला से हैं. उनके हाथ खराब हो गए हैं. दुबई में कमाया और अपने गावं केरल भेजा. 10 साल. घर में सब ने मजा किया. वो वहां कैसे रहते होंगे यह तो अब आप समझ गए होंगे. केमिकल फैक्ट्री में हाथ खराब हो गए. अब वापस आ गए हैं. उनके ही घर वाले उनसे कहते हैं कि ‘आप ने घर के लिए क्या किया ?’. इस बेशर्मी पर वह निरुत्तर हो जाते हैं. बेचारे 🙁
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संदेश –
१. अपने गावं, घर का ध्यान रखिए, अच्छी बात है, पर अपना भी थोड़ा बहुत ध्यान रखिए.
२. आर्थिक मदद दीजिए तो यह भी देखिए कि उसका सदुपयोग हो, दुरपयोग नहीं.
३. उन्हें केवल मदद ही मत दीजिए. उन्हें स्वावलंबी बनाइए.
Disclaimer : Photo taken from Google only for story presentation.
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Arun Mishra
Motivator, Trainer, Success Coach, Happiness Guru, Life Counselor, Career Counselor