Child’s reluctance to share parents love
Problem : When a new child enters in a family, existing child is reluctant to share parents love.
Case :
बेटी को लगता है भाभी आएगी और मम्मी पापा उसको जादा प्यार करने लगेंगे और बेटी को कम, so she is reluctant to share the love of parents. उसके मम्मी पापा ने उसे समझाया – ऐसा नही है बेटी, मम्मी पापा तुम्हे पहले जैसा ही प्यार करेंगे, भाभी अपने लिए मम्मी पापा के दिल में अलग से जगह बनाएगी. तुम्हे तुम्हारा प्यार मिलता रहेगा, उसको उसका प्यार मिलेगा. आधे घंटे की मशक्कत के बाद थोड़ा बहुत समझ में आया ?
यही बेटी जब जन्मी थी और उसे उसके मम्मी पापा घर लाए थे, तो उसका भाई पांच साल का था. उसके आने से पहले तक वो मम्मी पापा का अकेला बच्चा था. मम्मी केवल उसकी मम्मी थी. अब कोई दूसरा आ गया था, मम्मी के प्यार को share करने. बेटा अपनी मां को कहता था – मुझे तुम्हारे पास सोना है, इस बेबी को क्यों लाई, इसे डॉक्टर को वापस दे आओ ?. बेटे को समझाया बुझाया गया, और समय के साथ साथ प्यार व स्वीकार्यता आ गई.
Analysis :
बेटी तब जन्मी ही थी, उसे न बोलना आता था न सुनना समझना. इसलिए ‘डॉ. के पास छोड़ आओ’ जैसे कमेंट्स के मानसिक प्रभाव से वो मुक्त थी. पर अब भाभी बड़ी है, उसे ऐसा कहा या अनकहा reluctance बुरा लग सकता है. उसे जरूरत है कि वो ऐसे reluctance वाली बातों का बुरा न माने, बल्कि ऐसी बातों को मनोवैज्ञानिक तरीके से समझे. बाकी समाधान तो समय के पास है ही. ?
Solution :
समय के अलावां दूसरा सबसे अचूक समाधान है – प्यार ।
अगर किसी को किसी से प्यार हो जाए तो वो अपना घर बार धन दौलत सब कुछ दे देता है । सब कुछ शेयर कर लेता है ।
प्यार कैसे हो ?
प्रश्न यह है कि किसी को हमसे प्यार कैसे हो ?
हम अगर उससे प्यार करेंगे, तो उसे आज नही तो कल, हमसे भी प्यार हो ही जाएगा । प्यार होना ही नही चाहिए, दिखना भी चाहिए ।
जब हम किसी को स्वीकार करते हैं, उसकी समय समय पर प्रसंशा करते हैं, तो प्यार हो ही जाता है । ऐसा प्यार पहले एकतरफा हो सकता है पर कुछ समय बाद दोतरफा हो जाता है । प्रसंशा सबको अच्छी लगती है, प्रसंशा से तो इंसान छोडिए, भगवान तक झुक जाते हैं ?
सहयोग, स्वीकार्यता, सहभागिता, पुष्प और प्रसंशा प्यार को जन्म देते हैं ।
हेल्प करना, बात चीत करना, साथ में समय बिताना, games खेलना, हारना, हराना … इन सब से पहले माहौल सहज बनता है, बाद में माहौल प्यारा हो जाता है और बात बनने लगती है ।
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अरुण