आचार्य धर्मेश जी

लखनऊ, 17 फरवरी की सुबह 9 बजे, लखनऊ के ऐशबाग वाले आचार्य धर्मेश जी से बात हुई, यह तय हुआ कि 11 बजे मिलेंगे, पुलवामा की दुःखद घटना के शोक में ऑटो वगैरा बंद थे, मैं भाई के साथ पैदल ही चल पड़ा तय मिलन स्थान की तरफ, अभी आधे रास्ते ही था कि एक मोटरसाइकिल पास में आकर रुकी, मैंने उनका हेलमेट हटाया तो देखा कि आचार्य जी साक्षात उपस्थित हो गए थे, मैं हतप्रध होकर उनसे पूछा कि इससे पहले तो आपने मुझे देखा नहीं, केवल फेसबुक पर फोटो देखी है, फिर आपने पहचाना कैसे, तो बोले कि दिल ने देख भी लिया और पहचान भी लिया ।

पास के मंदिर गए, ईश्वर के दर्शन किए, वहीं बैठे, और घर संसार की बातें की ।

बहुत अच्छा लगा मिलकर के,
बहुत अच्छा लगा बात करके ।

Acdharmesh Awasthi जी,
आपके प्यार ने हमें जीत लिया ?