प्रेम बना रहे

"@[100001274477505:2048:Brij Mohan] से फेसबुक पर मुलाकात मोदी जी के 2013-14 के चुनाव प्रचार के दौरान हुई । पता नही कब वह मुझे गुरु जी कहने लगा और मेरे लिए पुत्र समान हो गया । हर किसी की संघर्ष की अपनी कहानी होती है । बृज की भी अपनी कहानी थी । उसके संघर्ष बहुमुखी थे । एक संघर्ष था, रोजगार का संघर्ष । करीब 2 साल पहले उसने बताया कि इसमें उसे सफलता मिली । उसे पुलिस डिपार्टमेंट में नौकरी भी मिली व उन्नति भी । इस सफलता का रहस्य शायद उसे भी न मालूम हो, मैं बताता हूँ, इसका रहस्य है उसका "जुझारू" होना । वह मेहनत करता रहा और प्रयास करता रहा, समय व परिस्थितियों से जूझते हुए । जो समय व परिस्थितियों से जूझते हुए, बिना विचलित हुए, लगातार प्रयास करता है - उसे जुझारू कहते हैं । जुझारू व्यक्ति को अति धीरज या अति पेशेंस की जरूरत होती है । यह गुण भी उसमें है । बृज का दूसरा गुण, माता पिता व परिवार को साथ लेकर चलना, उनका ध्यान रखना, सेवा करना, आदर सत्कार करना है । कहने के लिए आसान है, पर विपरीत आर्थिक व सामाजिक परिस्थितियों में भी, यह संस्कारी गुण बनाए रखना बहुत कठिन होता जा रहा है । बृज का यह गुण प्रसंशनीय है । बृज के पास एक और गुण है । वह प्रेम समझता है, प्रेम करता है, प्रेम निभाता है । इसका वृहत खुलासा मैं 2 वर्ष बाद करूंगा । आज केवल इतना कहूंगा कि जब उसे मेरे पोस्ट से पता चला कि मैं मथुरा वृंदावन में हूँ तो प्रेमवश उसने फोन किया व मिलने की इच्छा जताई । यात्रा के तीसरे दिन, जब हमारा तीर्थ ग्रुप आगरा गया था, और वहां से लौट रहा था, तो बृज ने फोन किया कि गुरु जी रुकिए, मैं आ रहा हूँ, अभी 50 km दूर हूँ, एक घंटे में आ जाऊंगा । हमनें थोड़ा इंतजार किया और बृज आ गया । इसे ही प्रेम कहते हैं । हमें ऐसा लगा कि बृज में मोहन मिल गए । बहुत बहुत आशीर्वाद बृज । आपका प्रेम बना रहे । जीवन प्रेममयी हो । आपके जीवन का हर प्रेम सफल हो । आशीर्वाद ?"

Brij Mohan से फेसबुक पर मुलाकात मोदी जी के 2013-14 के चुनाव प्रचार के दौरान हुई । पता नही कब वह मुझे गुरु जी कहने लगा और मेरे लिए पुत्र समान हो गया । हर किसी की संघर्ष की अपनी कहानी होती है । बृज की भी अपनी कहानी थी । उसके संघर्ष बहुमुखी थे । एक संघर्ष था, रोजगार का संघर्ष । करीब 2 साल पहले उसने बताया कि इसमें उसे सफलता मिली । उसे पुलिस डिपार्टमेंट में नौकरी भी मिली व उन्नति भी । इस सफलता का रहस्य शायद उसे भी न मालूम हो, मैं बताता हूँ, इसका रहस्य है उसका “जुझारू” होना । वह मेहनत करता रहा और प्रयास करता रहा, समय व परिस्थितियों से जूझते हुए । जो समय व परिस्थितियों से जूझते हुए, बिना विचलित हुए, लगातार प्रयास करता है – उसे जुझारू कहते हैं । जुझारू व्यक्ति को अति धीरज या अति पेशेंस की जरूरत होती है । यह गुण भी उसमें है ।

बृज का दूसरा गुण, माता पिता व परिवार को साथ लेकर चलना, उनका ध्यान रखना, सेवा करना, आदर सत्कार करना है । कहने के लिए आसान है, पर विपरीत आर्थिक व सामाजिक परिस्थितियों में भी, यह संस्कारी गुण बनाए रखना बहुत कठिन होता जा रहा है । बृज का यह गुण प्रसंशनीय है ।

बृज के पास एक और गुण है । वह प्रेम समझता है, प्रेम करता है, प्रेम निभाता है । इसका वृहत खुलासा मैं 2 वर्ष बाद करूंगा ।

आज केवल इतना कहूंगा कि जब उसे मेरे पोस्ट से पता चला कि मैं मथुरा वृंदावन में हूँ तो प्रेमवश उसने फोन किया व मिलने की इच्छा जताई । यात्रा के तीसरे दिन, जब हमारा तीर्थ ग्रुप आगरा गया था, और वहां से लौट रहा था, तो बृज ने फोन किया कि गुरु जी रुकिए, मैं आ रहा हूँ, अभी 50 km दूर हूँ, एक घंटे में आ जाऊंगा । हमनें थोड़ा इंतजार किया और बृज आ गया । इसे ही प्रेम कहते हैं । हमें ऐसा लगा कि बृज में मोहन मिल गए ।

बहुत बहुत आशीर्वाद बृज ।

आपका प्रेम बना रहे । जीवन प्रेममयी हो । आपके जीवन का हर प्रेम सफल हो ।

आशीर्वाद ?

 

Counselor Arun Mishra