कोई देख भाल करने वाला नही है
पैरेंटिंग
आजकल माता पिता की एक कॉमन शिकायत है कि उनका लड़का बाहर चला गया है, वो घर में अकेले रह गए हैं, कोई देख भाल करने वाला नही है ।
मेरा मानना है कि इसमें हमारी ही गलती है ।
जब बच्चा छोटा था, स्कूल जाना भी शुरू नही किया था, तब से हम पेरेंट्स उसे सफलता, बहुत बड़ा आदमी, बहुत अमीर आदमी, बहुत बड़ा अफसर, फलानी फलानी कार वाला आदमी, कैरियर,… आदि आदि बताने लगे, समझाने लगे, और जब वो समझ गया, कैरियर के पीछे भागने लगा, मोह माया छोड़कर, so called सफलता के पीछे भागने लगा, तो हम उसे कह रहे हैं लौट आओ, … ?
अब लौटना मुश्किल होगा, गलती हमारी थी, हमें भुगतना पड़ेगा ☹
क्या करें ?
इस भौतिकतावाद की जमाने में, हाई कैरियर के जमाने में, so called सफलता के जमाने में, हम पैरेंट्स को संयम बरतना चाहिए, बच्चों को अति भौतिकतावाद से दूर रखें, so called सफलता की जगह ‘असली सफलता’ बताएं, परिवार से मेल जोल बढ़ाएं, मोह माया प्यार दुलार बढ़ाएं, नकली सुख और असली सुख समझाएं, छणिक सुख व जीवन पर्यंत दीर्घकालिक सुख समझाएं, ‘परिवार को प्यार करना’ सिखाएं.
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