शिक्षा नष्ट तो संस्कृति नष्ट

अगर कहीं की संस्कृति सभ्यता को नष्ट करना है और अपनी बातें थोपनी हैं तो उनकी शिक्षा, उनके विद्यालय, उनके स्कूल, बदल दीजिए, अपने अनुरूप कर दीजिए । अगली दो पीढ़ी में सब कुछ स्वतः बदल जाएगा ।

अंग्रेजो ने यही किया ।

आज हमारे युवा, हमारे बच्चे उन्ही की भाषा पढ़ रहे हैं, उन्ही की बोली बोल रहे हैं, उन्ही के त्यौहार मना रहे हैं, उन्ही का फ़ैशन कर रहे हैं, उन्ही की बातें मान रहे हैं , उन्ही की संस्कृति सभ्यता को समझ रहे हैं । यूँ कहिए कि मानसिकतः उनके गुलाम बन गए हैं ।

बात यहीं नही खतम होती । हम उनके प्रोडक्ट्स, उनके बाजार को फॉलो कर रहे हैं । फॉलो करना दुखद नही है पर फॉलो करने के चक्कर में अपना बाजार खोते जाना दुखद है। जब हमारा बाजार कमजोर होगा तो हमारी अर्थव्यवस्था भी कमजोर होगी । और मानसिक गुलामी के साथ साथ हम आर्थिक गुलाम भी हो जाएंगे ।

क्या करें ?

हमें अपनी संस्कृति, अपनी सभ्यता वाले विद्यालय, स्कूल, कॉलेज डेवेलप करने पड़ेंगे । उनकी संख्या बढ़ानी पड़ेगी । उनका प्रभाव बढ़ाना पड़ेगा । उनकी क्वालिटी अच्छी करनी पड़ेगी । जिससे उनमें पढ़ने वाले हमारे बच्चे व युवा, मानसिक गुलामी से बाहर निकलें, अपनी संस्कृति व सभ्यता के ध्वजारोहक बने । देश आगे बढ़े ।

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Counselor Arun Mishra